कायर हूँ मैं
Published in
Apr 19, 2023
किनारे खड़े हो कर सोचती हूँ
पानी कैसा होगा ?
कश्तियों को देख सोचती हूँ
लहर कैसी होगी ?
रेत में गुम ना जाऊँ
पैर सिकोड़ लेती हूँ
कायर हूँ मैं
तेरे कंधे को बैसाखी बना चलती हूँ
पायल को बेड़ी बना रुस जाती हूँ
सपने पूरे हो गए तो
सोच सोच घबराती हूँ